Contact Employees Pension Good News: संविदा कर्मियों के लिए हाई कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला, मिलेगा पुरानी पेंशन का लाभ

By: ASHU SINGH

On: Monday, November 17, 2025 7:17 AM

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Contact Employees Pension Good News: उत्तर प्रदेश के जितने भी स्थाई कर्मचारी हैं उनके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला सुना दिया गया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यहां पूरी तरीके से स्पष्ट किया है कि दैनिक वेतन या फिर वर्क चार्ज के आधार पर दी गई सेवा भले ही नियमितीकरण की पहले ही पेंशन लागू हेतु इस सेवा को क्वालीफाइंग सर्विस के रूप में गिना जाने वाला है। संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए भी है काफी बड़ा फैसला माना जा रहा है न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख मामले सहित 78 रिट को निपटाते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिया है कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए मामले में बाध्यकारी बताते हुए महत्वपूर्ण फैसले को सुना दिया है हाई कोर्ट के द्वारा अपने फैसले में यह कहा गया है कि राज्य सरकार के द्वारा इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश क्वालीफाइंग सर्विस फॉर पेंशन एंड वैलिडेशन एक्ट 2021 वह उत्तर प्रदेश एंटायरमेंट पेंशन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को यहां पर प्रभावित करने हेतु पूरी तरीके से सफल यहां पर नहीं रहा है। इस निर्णय को सुनाए जाने के बाद हाई कोर्ट के द्वारा सभी सरकारी आदेशों को यहां पर रद्द किया गया था। जिसके द्वारा याचिका कर्ताओं को पिछले सेवा को जोड़े जाने से इनकार किए जाने हेतु यहां पर उनका पेंशन से लंबित भी कर दिया गया था।

संविदा कर्मियों के पेंशन हेतु यह है पूरा मामला

बता दिया जाता है कि जो यह मामला है उत्तर प्रदेश के 78 संविदा कर्मियों का रहने वाला है। इस मामले के अंतर्गत कर्मचारियों के माध्यम से पेंशन देने के इनकार करने वाले विभिन्न विभाग की आदेशों को चुनौती दिया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा मुख्य रूप से दो आधारों पर पेंशन दिए जाने से यहां पर मना किया गया था। पहले आधार कर्मचारियों की दैनिक वेतन है फिर वर्क चार्ज के रूप में किया गया है। प्रारंभिक सर्विस को पेंशन दिए जाने हेतु और नहीं यहां पर माना गया था। उनकी सेवाओं को 1 अप्रैल 2005 की कट ऑफ तिथि के बाद नियमित किया जाने वाला था। इसलिए उन्हें नयी पेंशन योजना के बारे में दायरे में बिल्कुल रखा गया था। उन्हें पुरानी पेंशन योजना से बाहर भी किया गया था कोर्ट के द्वारा इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए संविदा कर्मचारियों की 1974 में दैनिक वेतन या वर्ग 4 के आधार पर नौकरी में आए थे उसमें से अधिकांश जो संविदा कर्मी थे उनमें 10 से 30 वर्ष तक हो चुके हैं और इन सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया गया था कोर्ट ने देखा कि कुछ मामलों में याचिका कर्ता नियमित नहीं किए गए थे रिटायरमेंट की आयु भी उन्होंने प्राप्त कर लिया था।

यह सभी संविदा कर्मियों ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष

जितने भी संविदा कर्मी है इन्होंने यह तर्क दिया की प्रेम सिंह के फैसले की वजह से स्थाई कर्मियों को नई सेवाओं को पेंशन लाभ के तौर पर स्पष्ट रूप से यहां पर उनको अंदर कर दिया गया था। इसके साथ-साथ उन सभी मामलों में जहां पर नियमितीकरण के बिना रिटायर वह हुए थे उन्होंने यह भी कहा है कि बाद में लगाए गए एक्ट आप 2021 और ऑर्डिनेंस ऑफ 2025 में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है उसकी न्यूज़ प्रभावी बनाने जा रहे हेतु किया गया था राज्य सरकार के जो मुख्य स्थाई अधिवक्ता है इनके माध्यम से यह तर्क दिया गया यह जो कर्मचारी है पेंशन का दावा करने की बिल्कुल हकदार नहीं थे क्योंकि उनकी सेवाएं न तो मौलिक नियुक्ति के आधार पर हुआ था ना ही पेंशन लाभ लेने हेतु वह आर्य के सेवा के बारे में वह आते थे राज्य का बचाव काफी हद तक यहां पर नए कानून पर पूरी तरीके से निर्भर कर रहे थे।

1 अप्रैल 2025 का जो कट ऑफ है वह गलत मानते हुए कोर्ट के फैसला सुनाया गया है इन कर्मचारियों की प्रारंभिक अस्थाई सेवा को हर एक सेवा के रूप में यहां पर जानना है इसलिए 1 अप्रैल 2005 के बाद उनका नियमितीकरण का जो पहलू है वह प्रासंगिक यहां पर हो जाता है कोर्ट ने माना की 1 अप्रैल 2005 के बाद सेवा में नियमिती करण के बावजूद जो याचिका कर्ता पेंशन व ऐसे सभी लाभों के हकदार यहां पर होने वाले हैं जो कि बिना नियमिती करण के रिटायर होने वाले कर्मचारी भी इस बारे में आने वाले कोर्ट ने माना की प्रेम सिंह और अन्य मामलों के आधार पर ऐसे कर्मचारी जो कि वर्षों से सेवा के बाद बिना नियमिती करण के रिटायर हुए हैं वे सभी पेंशन भोगी लाभों के यहां हकदार होने वाले हैं कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फाइनल आदेश यहां पर दिया है कर्मचारियों को पुरानी सेवाओं को भी जोड़ते हुए पेंशन का लाभ दे दिया है।

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